शशी थरूर का मन्त्रि मण्डल मे न रहना भारतीय राजनीति की अपरिपक्व अवस्था और इसमे व्याप्त भ्रष्टचार को प्रदर्शित करता है. शशी थरूर ने सही किया या गलत ये सोचने की बजाय अब कुछ और प्रश्न जनता के मन मे है . ऐसा क्यों है कि ७६ जवानों के शहीद हो जाने , विभिन्न मामलों मे मंत्रियों के फँस जाने पर, तमाम् बडे घोटालों मे लिप्त होने पर और ऐसे न जाने कितने गम्भीर मामलों के आरोपी लोगों से कोई इस्तीफे नही लिए गए. ऐसे मे थरूर ही शिकार क्यों ? आई पी अल मे कितने और किन लोगों का पैसा लगा है , ये एक जांच का विषय तो है पर मोदी के ही पक्ष मे बोलने वालों की संख्या देखकर उनका बाहरी तौर पर अन्दाज़ा लगाया जा सकता है.
जनता के पैसों से और जनता कि भावनाओं से खिलवाडा हमारे लोक नायकों का पसंदीदा खेल है जिसकी दर्शक भी जनता ही होती है . आखिर कब जगेंगे हम अपनी नींद से और ला सकेंगे परिवर्तन ? कब उठा सकेंगे नकाब इन सफेद पोशों के चेहरों से ? अगर अब भी हम नही जागे तो हमारे द्वारा चुने गए ये लोग हमे यूं ही गर्त मे जाते रहेंगे .
जागो परिवर्तन के लिए .......
Copyright ©
Ravi Nitesh | Designed by Abhishek Kumar